Sita Ashtmi Ka mahattw, सीता अष्टमी कब है 2022 में, सीता जी का जन्म कैसे हुआ, कैसे करे पूजा, क्या फायदे होते हैं सीता अष्टमी की पूजा से ? |
Sita Ashtami 2022:
फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता का अवतरण हुआ था धरती से और इसीलिए हर साल को इस तिथि को सीता अष्टमी मनाया जाता है |
2022 में sita ashtmi 24 फ़रवरी, गुरुवार को मनेगा, इस दिन को जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है |
Sita Ashtmi Ka mahattw |
माता सीता को लक्ष्मी जी का रूप माना जाता है और इसीलिए सौभाग्य के लिए, जीवन में सम्पन्नता के लिए इनकी पूजा भी की जाती है |
पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा जनक को धरती पे हल चलाते हुए एक बक्सा मिला और खोलने पे उसमे एक छोटी बच्ची दिखी, राजा जनक ने उन्हें अपना लिया और उनका नाम सीता रखा गया |
क्या लाभ होते हैं सीता जी की पूजा से ?
सीताजी माता लक्ष्मी का ही रूप थी और एक आदर्श नारी, आदर्श माता थी अतः उनकी पूजा से अनेक लाभ होते हैं |
- अगर किसी की शादी नहीं हो रही है तो वो जानकी जयंती के दिन माता की पूजा करके उनसे आशीर्वाद मांग सकती है |
- अगर पति बीमार हो तो भी माता सीता की पूजा से लाभ होता है |
- अगर पारिवारिक सुखो में कमी आ रही है तो भी सीता-अष्टमी की पूजा से लाभ लिया जा सकता है |
- अगर घर में धन की बहुत कमी हो तो भी इनकी पूजा से आय के स्त्रोत खुलते हैं |
- अगर संतान बिगड़ रही हो तो भी माता सीता की पूजा करके आशीर्वाद माँगा जा सकता है |
आइये जानते हैं की जानकी जयंती के दिन अर्थात 24 फ़रवरी 2022 को ग्रहों की दशा कैसी रहेगी ?
- Rahu aur ketu uch ke rahenge gochar kundli mai jo ki achhi baat hai |
- shukra aur mangal apne mitra raashi me rahenge |
- shani apne hi raashi me rahenge |
- Chandrama apne neech raashi mai rahenge jo ki samasya utpann kar sakte hain |
- surya apne shatru raashi me rahenge |
आइये जानते हैं की सीता अष्टमी को कैसे कर सकते हैं पूजा ?
- Sita ashtmi ko ब्रह्म महुरत में उठके दैनिक क्रियाओ से निवृत्त हो जाएँ और फिर अपने पूजा कक्ष में जाएँ जहा पे श्री राम और सीता जी की मूर्ति या फोटो हो |
- अब पूजा का संकल्प ले की आप उनकी पूजा किस ईच्छा से कर रहे हैं |
- अब सबसे पहले श्री गणेश का पूजन करें और फिर माता सीता का पूजन करें | माता को श्रृंगार का सामान भेंट करें , भोग अर्पित करें, उनकी आरती करें और आशीर्वाद लीजिये |
- आप माता सीता का गायत्री मन्त्र का जप कर सकते हैं ज्यादा से ज्यादा –
ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे, भुमिजायै धीमहि, तन्नो सीता: प्रचोदयात् ।।
Om Janaknandinyae Vidmahe Bhumijaayae Dheemahi, tanno Sitah Prachodayat.
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