शिव पंचाक्षर स्त्रोत, क्या फायदे होते हैं इसके पाठ से, किन्हें जरुर करना चाहिए Shiv panchakshari strotram का पाठ, shiv mantra in hindi |
शिव पंचाक्षरी स्त्रोत्र में भगवन शिव के बारे में बताया गया है की वो क्या है, उनकी शक्तियां क्या हैं | shiv panchakshri strotr का पाठ करके हम अपने जीवन में से अनेक समस्याओं का समाधान आसानी से कर सकते हैं |
जिन लोगो जीवन में हर कदम पे परेशानी आ रही हो, शत्रु परेशान कर रहे हो, मानसिक विकार बढ़ रहा हो तो ऐसे में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ रोज सुबह और शाम को करना चाहिए |
Shiv panchakshari strotram |
आइये जानते हैं shiv panchakshari strot के पाठ के फायदे :
- अगर कुंडली में काल सर्प दोष हो तो इसका पाठ रोज सुबह शाम करना चाहिए, इससे लाभ होता है |
- अगर कुंडली न हो परन्तु जीवन में लगातार परेशानी बनी हुई है कोई काम सफल नहीं हो रहा है तो ऐसे में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत्रम का पाठ करना चाहिए |
- अगर स्वप्न में बार बार सर्प दिख रहे हो तो ऐसे में भी इस स्त्रोत के पाठ से लाभ होता है |
श्रावण के महीने में तो शिव पूजा विशेष फलदाई होती है तो ऐसे में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ जरुर करें रोज|
इसका पाठ करने के बाद थोड़ी देर “ॐ नमः शिवाय ” मन्त्र का जप करना चाहिए |
Benefits of Shiv Panchakshari Strotram
आइये जानते हैं शिव पंचाक्षरी स्त्रोत को :
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥6॥
शिव पंचाक्षर स्त्रोत, क्या फायदे होते हैं इसके पाठ से, किन्हें जरुर करना चाहिए Shiv panchakshari strotram का पाठ, shiv mantra in hindi |
आइये जानते हैं शिव पंचाक्षरी स्त्रोत के अर्थ :
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥
अर्थ : जिनके गले में सर्पों की माला है, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हमेशा भस्म अंगो में लगा के रखते हैं, जो दिगम्बर हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर नकारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥
अर्थ: मन्दाकिनी के जल से जिनकी पूजा होती है, चन्दन का जिन्हें लेप लगाया जाता है, नंदी और गानों के जो स्वामी है, मदार के पुष्पों से जिनकी पूजा होती है ऐसे मकार स्वरुप शिव को नमस्कार है |॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥
अर्थ: जो गौरी के मुख को प्रसन्नता देते हैं, जो दक्ष के यग्य का नाश करने वाले हैं, जिनका कंठ नीला है, वृषभ का ध्वज जिनके पास है, ऐसे शी कार स्वरुप शिव को नमस्कार है | ॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥
अर्थ : जिनकी पूजा वशिष्ठ, गौतम और इंद्र आदि देवता भी करते हैं | चन्द्र, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र है, ऐसे व कार स्वरुप शिव को नमस्कार है | ॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥
अर्थ: जो यज्ञ है, जिहोने जाता धारण किया है, जिनके हाथ में त्रिशूल है, जो शाश्वत है| जो दिव्य हैं और दिगंबर भी ऐसे य कार स्वरुप शिव को नमस्कार है | ॥5॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥6॥
अर्थ: जो शिव के पास इस पुण्य देने वाले पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करता है वो शिवलोक को प्राप्त करता है और शिवजी के साथ आनंद करता है | ॥6॥
शिव पंचाक्षर स्त्रोत, क्या फायदे होते हैं इसके पाठ से, किन्हें जरुर करना चाहिए Shiv panchakshari strotram का पाठ, shiv mantra in hindi |