Akaal Mrityu Kya Hoti Hai

अकाल मृत्यु का सच क्या है, क्या होता है अकाल मृत्यु के बाद, कैसे बच सकते हैं असमय मौत से, क्या कर सकते हैं उनके लिए जिनकी हुई है अकाल मृत्यु, Akal Mrityu |

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Akaal Mrityu Kya Hoti Hai

अकाल मृत्यु क्या है ?

मृत्यु तो अटल है परन्तु ऐसे भी बहुत से लोग है जो की कम उम्र में ही असमय काल के ग्रास बन जाते हैं विभिन्न कारणों से जैसे दुर्घटना के कारण, किसी बिमारी के कारण, महामारी के कारण आदि | जिनकी आयु बहुत लिखी होती है परन्तु किसी करणवश वे जल्दी शारीर छोड़ दे तो ऐसे मृत्यु को अकाल मृत्यु की संज्ञा दी जाती है |

साधारणतः अगर कोई बहुत ही कम उम्र में शारीर छोड़ दे तो उसे भी अकाल मृत्यु कहा जाता है |

यदि कोई प्राणी भूख से पीड़ित होकर मर जाता है, या किसी हिंसक प्राणी द्वारा मारा जाता है। या फिर गले में फांसी का फंदा लगाने से जिसकी मृत्यु हुई हो अथवा जो विष, अग्नि आदि से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। अथवा जिसकी मृत्यु जल में डूबने से हुई हो या जो सर्प के काटने से मृत्यु को प्राप्त हुआ हो, या जिसकी दुर्घटना या रोग के कारण मौत हो जाती है। ऐसा प्राणी अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। 

आत्म हत्या भी अकाल मृत्यु है परन्तु हमारे शाश्त्रो में आत्महत्या को सबसे निंदनीय और घृणित बताया गया है. भगवान विष्णु ने आत्महत्या को परमात्मा का अपमान करने के समान बताया है। प्राकृतिक मृत्यु होने पर आत्मा समय पर दूसर शारीर धारण करती है परन्तु आत्महत्या करने वाला पृथ्वी लोक पर तब तक भटकती रहती है जब तक वह प्रकृति के द्वारा निर्धारित अपने जीवन चक्र को पूरा नहीं कर लेता है।

आइये जानते हैं की क्या होता है मृत्यु के बाद शाश्त्र अनुसार ?

भगवद गीता के अनुसार शारीर छोड़ते समय जीव का ध्यान जिस विषय पर रहता है उसी अनुसार उसकी आगे की गति होती है | विभिन्न प्रकार की योनियाँ होती है जैसे प्रेत योनी, कीट योनी, पितृ योनी, सर्प योनी, यक्ष योनी आदि. शारीर रहते जैसा कर्म वो करता है उसके अनुसार ही उसे आगला जन्म मिलता है |

कुछ लोग अपने पुण्य कर्म और साधना के बल पे जन्म मरण के चक्कर से आजाद हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं |

जिनके अन्दर बहुत सी अधूरी इच्छाएं रहती है, काम वासना रहती है और अगर ऐसे लोगो की असमय मृत्यु हो जाय अर्थात अकाल मृत्यु हो जाए तो प्रेत योनी में भी इनको रहना पड़ सकता है |

प्रेत योनी में अक्सर वे जाते हैं जिनकी प्रबल इच्छा रहती है संसार से जुड़े रहने की | संसार से बंधे रहने की ईच्छा ही उसके बंधन का कारण बन जाती है |

ऐसे बहुत से लोग मिल जायेंगे हमे आस पास जिन्हें घर में हर समय या फिर किसी खास समय दिवंगत आत्माओं के होने का अहसास होता है , किसी को सपने में भी दिवंगत आत्माए दिखती है, कुछ मांगती है | ये सब प्रमाण है की  मरने के बाद भी अस्तित्तव बना रहता है |

ऐसे बहुत से परिवार है जिनमे क्लेश रहता था परन्तु पितृ शांति पूजा के बाद सब कुछ ठीक हुआ , ये भी प्रमाण है की कुछ शक्तियां दिखती नहीं है परन्तु उनका अस्तित्तव होता है |

इसीलिए हमारे शाश्त्रो में बहुत से कर्मकाण्डो का जिक्र है जिनमे अतृप्त आत्माओं की मुक्ति और उन्नति के लिए प्रार्थनाये की जाती है  और हर मनुष्य को ये समय समय पर करना चाहिए |

प्रेतात्माए अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए शारीर की खोज में रहती है इसीलिए हमे ऐसे लोग भी मिलेंगे जिनको की प्रेत ने वश में कर लिया है और फिर कोई तांत्रिक ही उसे बचाता है |

ऐसे बहुत से मंदिर और मस्जिद है पूरी दुनिया में जहाँ जाके ये प्रत्यक्ष देखा जा सकता है की प्रेत कैसे किसी शारीर को अपने वश में  करके रखते हैं | इसीलिए ये कोई अंधविश्वास नहीं है, जिसने इसे भोग है , वो अच्छी तरह से जानता है की आत्माओं का प्रेत आत्मा का अस्तित्तव है |

आइये अब जानते है की ज्योतिष में अकाल मृत्यु को कैसे देखा जाता है ?

ज्योतिष में कोई एक नियम नहीं है मृत्यु का पता लगाने के लिए , बहुत से योग बनते हैं और दशा, अन्तर्दशा, प्रत्यांतार्दशा का अध्ययन किया जाता है तब जा के ये पता चलता है की असमय मृत्यु हो सकती है की नहीं |

  • कुंडली में मौजूद अष्टम भाव का अध्ययन किया जाता है|
  • ख़राब ग्रहों की दशा का अध्ययन किया जाता है |
  • मंगल और शनि की स्थिति का अध्ययन भी किया जाता है |
  • अष्टम भाव में बने योगो का भी अध्ययन किया जाता है |
  • कुंडली में छठे भाव, अष्टम भाव और बारहवें भाव का अध्ययन किया जाता है |

आइये अब जानते हैं की अकाल मृत्यु से बचने के क्या उपाय होते हैं ?

  1. जिन पर गुरु कृपा या ईष्ट कृपा होती है वे लोग आसानी से अकाल मृत्यु से बच जाते हैं इसीलिए अपने गुरु और ईष्ट पर पूर्ण श्रद्धा  रखे और नियम से गुरु मन्त्र का जप करे |
  2. अगर जीवन संकतो से घिर गया हो तो महामृत्युंजय मनतर का जप करे या करवाएं |
  3. अगर कुंडली के हिसाब से शत्रु या ख़राब ग्रहों का समय चल रहा हो तो सम्बंधित ग्रह की शांति पूजा करे या करवाएं |
  4. अगर शत्रु के द्वारा काला जादू किया गया हो तो ऐसे में बचने के लिए कवच धारण करना चाहिए और अन्य पूजाए ज्योतिष से परामर्श लेके करना चाहिए |
  5. अगर आप किसी भगवन की पूजा लम्बे समय से करते आये है तो उसे जारी रखे और ह्रदय से प्रार्थना करे सुखी जीवन के लिए |
  6. अपने घर में गंदगी जमा ना होने दे कहीं पर भी |
  7. अमावस्या , चौदस को नियमित रूप से पितरो और प्रेतात्माओ की शांति के लिए तर्पण और अन्य प्रयोग परामर्श लेके करे |
  8. भगवद गीता का पाठ नियमित रूप से करें |
  9. जरुरत मंदों की मदद करे |
  10. पशु पक्षियों के लिए अन्न, पानी आदि की व्यवस्था करे |

 तो इस प्रकार हम कुछ छोटे छोटे उपायों को करके अकाल मृत्यु से बच सकते हैं और अपने जीवन को ठीक तरीके से जी सकते हैं |

आइये अब जानते है की अगर परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनके लिए क्या करना चाहिए ?

अगर किसी कारणवश परिवार में कोई अकाल मृत्यु को प्राप्त हुआ हो तो ऐसे में उनके सद्गति के लिए कुछ उपाय कर सकते है जैसे –

  • नियमित रूप से भगवद्गीता का पाठ उनके निमित्त करे और ब्राहमण को भोजन, वस्त्र दक्षिणा देके आशीर्वाद ले सामने वाले के लिए |
  • यथा शक्ति गुरु मन्त्र या इष्ट मन्त्र का जप करके उसका पुण्य उनके लिए छोड़े |
  • कुछ समय तक नियमित रूप से उनके लिए तर्पण करे |
  • दिवंगत आत्मा के लिए नियमित रूप से शिव पंचाक्षरी मन्त्र का जप कर सकते हैं |
  • अगर परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनके मुक्ति के लिए यथाशक्ति प्रयत्न करना चाहिए , इसी में सब का कल्याण निहित होता है |

अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित है, गंभीर समस्या से ग्रस्त है और ज्योतिष समाधान चाहते हैं तो संपर्क कर सकते हैं |

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