Sapt Rishi Kaun Hai

 ऋषि मुनि कौन होते हैं, सप्तऋषि कौन है, क्या योगदान है सप्त ऋषियों का |

Sapt Rishi Kaun Hai: ऋषि मुनियों के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है, ये ही वो महान लोग है जिन्होंने अपने शोध से भारत को अध्यात्मिक गुरु बनाया, इन्ही की दें है की आज हम जीवन को सहस रूप से जी पा रहे हैं |

जीवन का ऐसा कोई विषय नहीं जिसपे ऋषि मुनियों ने शोध नहीं किया है | विभिन्न धर्म ग्रंथो में, इनके शोध मौजूद है हम वेद , उपनिषद कहते हैं | 

अगर ऋषि मुनियों के जीवन शैली की बात करें तो ये अपना पूरा जीवन जंगल में एकांत में साधना करते हुए, शिक्षा देते हुए बिताते थे | आज भी ऐसे ऋषि हमे देखने को मिलते हैं, हिमालय में और अन्य तीर्थ स्थलों में | 

Sapt Rishi Kaun HaiSapt Rishi Kaun Hai

Sapt Rishi Kaun Hai: आइये अब जानते हैं सप्त ऋषियों के बारे में :

विष्णु पुराण अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार है :-

वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत।

विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।

अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं:- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।

पढ़िए शिव और पार्वती चौसर कहाँ खेलते हैं ?

Sapt Rishi Kaun Hai: 1. आइये जानते हैं वशिष्ठ ऋषि का योगदान :

वशिष्ठ ऋषि, राजा दशरथ के कुलगुरु थे और उनके चार पुत्रो के गुरु भी थे, वशिष्ठ जी के कहने पर राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था। 

वशिष्ठ_ऋषि ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं।

2. आइये जानते हैं कश्यप ऋषि का योगदान :

कश्यप_ऋषि मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई, हिन्दू मान्यता अनुसार इनके वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए।। Sapt Rishi Kaun Hai

3.आइये जानते हैं विश्वामित्र ऋषि का योगदान :

विश्वामित्र ऋषि होने के पूर्व विश्वामित्र राजा थे और ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पने के लिए उन्होंने युद्ध किया था, लेकिन वे हार गए। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या और मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग करने की कथा जगत प्रसिद्ध है। विश्वामित्र ने अपनी तपस्या के बल पर त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था। ऐसा माना जाता है की आज जहां शांतिकुंज हैं उसी स्थान पर विश्वामित्र ने घोर तपस्या करके इंद्र से रुष्ठ होकर एक अलग ही स्वर्ग लोक की रचना कर दी थी।

विश्वामित्र_ऋषि गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले , वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही।Sapt Rishi Kaun Hai

4.आइये जानते हैं भारद्वाज ऋषि का योगदान :

वैदिक ऋषियों में भारद्वाज-ऋषि का उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। भारद्वाज ऋषि राम के पूर्व हुए थे, लेकिन एक उल्लेख अनुसार उनकी लंबी आयु का पता चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का सन्धिकाल था। माना जाता है कि भरद्वाजों में से एक भारद्वाज विदथ ने दुष्यन्त पुत्र भरत का उत्तराधिकारी बन राजकाज करते हुए मन्त्र रचना जारी रखी।

ऋषि भारद्वाज के पुत्रों में १० ऋषि ऋग्वेद के मन्त्रदृष्टा हैं और एक पुत्री जिसका नाम ‘रात्रि’ था, वह भी रात्रि सूक्त की मन्त्रदृष्टा मानी गई हैं। ॠग्वेद के छठे मण्डल के द्रष्टा भारद्वाज ऋषि हैं। इस मण्डल में भारद्वाज के ७६५ मन्त्र हैं। अथर्ववेद में भी भारद्वाज के २३ मन्त्र मिलते हैं। ‘भारद्वाज-स्मृति’ एवं ‘भारद्वाज-संहिता’ के रचनाकार भी ऋषि भारद्वाज ही थे। ऋषि भारद्वाज ने ‘यन्त्र-सर्वस्व’ नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने ‘विमान-शास्त्र’ के नाम से प्रकाशित कराया है। इस ग्रन्थ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरने वाले विमानों के लिए विविध धातुओं के निर्माण का वर्णन मिलता है। ये आयुर्वेद के ऋषि थे तथा धन्वंतरि इनके शिष्य थे।

5. आइये जानते हैं अत्रि ऋषि का योगदान :

अत्रि_ऋषि  सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे। वे चंद्रवंश के प्रवर्तक थे। महर्षि अत्रि आयुर्वेद के आचार्य भी थे।

महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहूति की पुत्री अनुसूया के पति थे। अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा मांगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे, तब अनुसूया ने अपने सतित्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत का उपदेश दिया था।

अत्रि ऋषि ने इस देश में कृषि के विकास में पृथु और ऋषभ की तरह योगदान दिया था। अत्रि लोग ही सिन्धु पार करके ईरान चले गए थे, जहां उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया। अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ। अत्रि ऋषि का आश्रम चित्रकूट में था। मान्यता है कि अत्रि-दम्पति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में जन्मे। ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की भी कृपा थी।

6. आइये जानते हैं जमदग्नि ऋषि का योगदान :

जमदग्नि ऋषि एक ऋषि थे, जो भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना सप्तऋषियों में होती है। पुराणों के अनुसार इनकी पत्नी रेणुका थीं, व इनका आश्रम सरस्वती नदी के तट पर था। जमदग्नि_ऋषि भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है। केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे। वैशाख शुक्ल तृतीया इनके पांचवें प्रसिद्ध पुत्र प्रदोषकाल में जन्मे थे जिन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है।

7. आइये जानते हैं गौतम ऋषि का योगदान :

महर्षि गौतम सप्तर्षियों में से एक हैं। वे वैदिक काल के एक महर्षि एवं मन्त्रद्रष्टा थे। ऋग्वेद में उनके नाम से अनेक सूक्त हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार पत्नी अहिल्या थीं जो प्रातःकाल स्मरणीय पंच कन्याओं गिनी जाती हैं। अहिल्या ब्रह्मा की मानस पुत्री थी जो विश्व मे सुंदरता में अद्वितीय थी। हनुमान की माता अंजनी गौतम ऋषी और अहिल्या की पुत्री थी। दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने देवताओं द्वारा तिरस्कृत होने के बाद अपनी दीक्षा गौतम ऋषि से पूर्ण की थी। ऋषिओं के इर्श्या वश गोहत्या का झूठा आरोप लगाने के बाद बारह ज्योतिर्लिंगों मैं महत्वपूर्ण त्रयम्बकेश्वर महादेव नाशिक भी गौतम ऋषि की कठोर तपस्या का फल है जहाँ गंगा माता गौतमी अथवा गोदावरी नाम से प्रकट हुईं।

तो इस प्रकार हमने देखा की सप्त ऋषि कौन हैं और इन्होने इन विश्व में क्या योगदान दिया है |

ऋषि मुनि कौन होते हैं, सप्तऋषि कौन है, क्या योगदान है सप्त ऋषियों का, sapt rishi kaun hai, inka kya yogdaan hai |

Leave a comment

If you want any type of astrology guidance then don't hesitate to take PAID ASTROLOGY SERVICE.

Testimonials

I have done all 3 Suggestions and due to faith on you sir. I have heart infection which haven't found for last 50 days after having lot of test with the help of advance machine. But just after doing your upaay, the next day i admitted in hospital and the same doctor found the disease and treatment at same night. So sir you can now think about the level of trust and faith which make me belive this.

client

Sumit Vasist, Delhi

I used to spend some time with him in doing spiritual discussions which helps me a lot in taking decisions in my personal and professional life. I will definitely recommend everyone to talk once with astrologer Om Prakash who has in depth knowledge of both astrology and spiritual science. He is a very good mentor, astrologer ad a nice person. I will seek advise every time whenever i need

client

Piyush Kaothekar

sir from the time i got your web address i am just getting addicted to it, Sir from the time i came to understand about Indian astrology i wanted to get in touch with Indian astrologer to get help for my self but i could not get it and now you started helping me i am very grateful to you. sir i am so desperate to get rid of my loans. Sir please remember me in your prayer. and i need a lot more of your help. Great Job by u

client

Vernon

Exit mobile version