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जब पूरा विश्व महामारी से गुजर रहा हो ऐसे में ये जरुरी हो जाता है की जिन्हें जानकारी हो वो अपनी क्षमता अनुसार शक्ति साधना करे और देवी से महामारी नाश के लिए विशेष रूप से प्रार्थना करें.
दुर्गा शप्तशती के अंतर्गत एक विशेष मन्त्र है जिसका जप अगर सम्पुट लगा के किया जाए तो निश्चित ही देवी की कृपा प्राप्त होती है |
Mahamari Ko Nasht Karne Wala Chamatkari Mantra |
आइये जानते हैं वो शक्तिशाली मन्त्र :
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
आइये जानते हैं ॐ के सम्पुट के साथ ये दिव्य मन्त्र :
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॐ ।।
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जप करने की विधि :
इस महामारी नाश के मन्त्र का जप जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके उतना करना चाहिए और वो भी हवन के साथ | अगर निम्न बातो का ध्यान रखा जाए तो बहुत अच्छा रहेगा –
- सबसे पहले लाल ऊनि आसन बिछाएं और अपने सामने माँ काली या दुर्गा जी का चित्र या मूर्ति रखें |
- माता जी के आगे शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाएं |
- कुछ भोग अर्पित करें |
- फिर संकल्प ले की “मैं देवी के मन्त्र का जप महामारी नाश, बीमारी , शोक, दुःख के निवृत्ति के लिए करने जा रहा हूँ |
- अब आप अपनी सामर्थ्य अनुसार यथा शक्ति जप करे |
- हो सके तो हर मन्त्र के साथ घी और हवन सामग्री से आहुति भी डालते जाएँ |
- आखरी में देवी से प्रार्थना करें की पूरे विश्व से महामारी का नाश हो, सभी का मंगल हो , सभी निरोगी हो, सभी का कल्याण हो |
Note:
हमे मन्त्र जप करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की हमे तोते जैसा रट्टा नहीं मारना है मन्त्र का अपितु पूरे ध्यान से , श्रद्धा से, भक्ति से और एक निश्चित लय में इसका जप करना चाहिए, इससे निश्चित ही चमत्कारी प्रभाव हम महसूस करेंगे वो भी मन्त्र जप के दौरान ही |
इस मन्त्र का जप मानसिक ना करते हुए धीमी आवाज में करे तो और अच्छा है |
आइये जानते हैं इस मन्त्र की ख़ास बात क्या है ?
देवी का ये मन्त्र दुर्गाशप्तशती के अर्गलास्त्रोत्रम का पहला श्लोक है | दुर्गा शप्तशती के हर श्लोक को मन्त्र कहा गया है और विभिन्न मनोकामना को पूरा करने के लिए भक्त अलग अलग श्लोक का पाठ नियमित रूप से करते हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं |
अगर कोई अत्यंत बीमार हो और बैठ कर जप करने में सक्षम ना हो तो लेते लेते मन में कर सकते हैं और मन ही मन देवी से निरोगता के लिए प्रार्थना कर सकते हैं , देवी की कृपा से निश्चित ही लाभ होगा |
इस मन्त्र में देवी को उनके ११ नामो से नमस्कार किया गया है , ये ११ नाम देवी की विभिन्न शक्तियों का प्रतिक है |
- जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा ─ इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके। तुम्हें मेरा नमस्कार है।
- जयंती के रूप में देवी सबसे उत्कृष्ट है , विजयशालिनी है |
- मंगला के रूप में देवी अपने भक्तो को जन्म मरण के बंधन से बचाती है |
- काली के रूप में माँ प्रलयकाल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है |
- देवी हमेशा अपने भक्तो का भला करने के लिए तत्पर रहती है और कपाल और मुंड माला धारण करती है |
- माँ देवताओं और पितरो का भी पोषण करती है |
तो आइये पूर्ण श्राध भक्ति से इस मनतर का जप करें :
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॐ ।।
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